भोपाल गैस त्रासदी के मुख्य आरोपी वॉरेन एंडरसन को अब भारत लाने के लिए केन्द्र सरकार अमेरिका पर दबाव बनाएगी। साथ ही भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री की जमीन को साफ करने की मांग भी की जाएगी। इस बात पर आम सहमति आज गृहमंत्री पी. चिदंबरम की अध्यक्षता वाले पुनर्गठित मंत्री समूह में बनी।
मंत्री समूह में इस बात पर भी आम सहमति बनी कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर आपराधिक दायित्व तय करने की मांग की जाएगी। साथ में एंडरसन को भारत लाने और फैक्ट्री में मौजूद जहरीले कचरे की सफाई पर भी कदम उठाया जाएगा। जीओएम में भोपाल कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में एक पुर्नविचार याचिका दायर किए जाने पर सहमति बनी।
मंत्री समूह में इस बात पर भी आम सहमति बनी कि सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर आपराधिक दायित्व तय करने की मांग की जाएगी। साथ में एंडरसन को भारत लाने और फैक्ट्री में मौजूद जहरीले कचरे की सफाई पर भी कदम उठाया जाएगा। जीओएम में भोपाल कोर्ट के फैसले के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में एक पुर्नविचार याचिका दायर किए जाने पर सहमति बनी।
बैठक में दोषियों को और कड़ी सजा दिलाने के लिए उपलब्ध कानूनी विकल्पों, एंडरसन के प्रत्यर्पण तथा गैस पीड़ितों के स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों के साथ पीड़ितों को मुआवजा दिलाने जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। ऐसा माना जा रहा है कि समूह सरकार को सुप्रीम कोर्ट के 1996 के उस निर्णय को लेकर पुनर्विचार याचिका दायर करने का सुझाव दे सकता है, जिसमें आरोपियों के खिलाफ आरोपों को हल्का कर दिया गया था। चिदंबरम ने खुद कहा है कि भोपाल के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के सात जून के फैसले के संदर्भ में कानूनी विकल्पों पर चर्चा की गई और हम कुछ तात्कालिक निष्कर्षो पर पहुंचे हैं जिन्हें प्रधानमंत्री को दी जाने वाली रिपोर्ट में शामिल किया जाएगा।
समूह के अध्यक्ष और गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने बैठक के बाद कहा कि हमने आज पर्यावरण से जुड़े मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। भोपाल में यूनियन कार्बाइड संयंत्र में जमा विषैले कचरे, पर्यावरण विशेषकर जमीन और पानी को हुए नुकसान और इससे निपटने के उपायों पर विचार किया। मंत्री समूह की पिछले तीन दिन में यह चौथी बैठक थी। उन्होंने कहा कि मंत्री समूह की सोमवार सुबह फिर बैठक होगी, जिसमें अब तक हुए विचार विमर्श की समीक्षा की जाएगी तथा सिफारिशों को अंतिम रूप दिया जाएगा। चिदंबरम ने उम्मीद जताई कि सोमवार दोपहर प्रधानमंत्री को रिपोर्ट सौंप दी जाएगी।
रविवार की बैठक में इस बात पर विस्तार से चर्चा की गई कि कार्बाइड संयंत्र में जमा विषैले कचरे को किस तरह साफ किया जाए तथा इससे संयंत्र के आसपास की भूमि, भूजल और पर्यावरण को कितना नुकसान हुआ है तथा उससे कैसे निपटा जाए। सूत्रों के अनुसार रसायन और उर्वरकमंत्री एमके अलागिरी तथा पर्यावरण और वन मंत्री जयराम रमेश ने इस संबंध में बैठक में विस्तृत जानकारी दी। संयंत्र तथा उसके आसपास अभी भी सैकड़ों टन विषैला कचरा जमा है, जिससे भूमि और भूजल विषैला हो रहा है। बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि संयंत्र में लगे उपकरणों तथा अन्य सामग्री का क्या किया जाए।
प्रधानमंत्री ने गत 14 जून को मंत्री समूह को जल्द बैठक कर अपनी रिपोर्ट दस दिन में सौंपने के निर्देश दिए थे। इसी के अनुरूप मंत्री समूह की तीन दिन में लगातार चार बैठकें हुईं। इसमें इस बात पर विशेष रूप से चर्चा हुई कि 1984 में हुई इस औद्योगिक दुर्घटना के उन पीड़ितों को कैसे राहत पहुंचाई जाए जिन्हें वर्षों बाद भी पर्याप्त मुआवजा नहीं मिल सका है। पीड़ितों के स्वास्थ्य पर पड़े असर और उन्हें इलाज उपलब्ध कराने के उपायों पर भी विचार किया गया। यूनियन कार्बाइड के पूर्व प्रमुख वारेन एंडरसन के प्रत्यर्पण से जुड़े मसले पर भी इसमें विचार किया गया।
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