प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नवनिर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष लाया जाएगा। सिंगापुर के बौद्ध संगठनों ने और एक वैश्विक अध्ययन केंद्र ने एक विश्व स्तरीय पुस्कालय के निर्माण के लिए पहले ही आर्थिक अनुदान का प्रस्ताव दिया है।
विश्वविद्यालय के संरक्षक समूह के अध्यक्ष और नोबेल पुरस्कार विजेता अमत्र्य सेन ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया, ""हम अंतर्राष्ट्रीय कोष जुटाने का प्रयास करेंगे।"" सेन ने कहा, ""सिंगापुर के बौद्ध समुदाय ने आर्थिक मदद से एक समृद्ध पुस्तकालय बनाने की बात कर एक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया है।"" उन्होंने संभवत: 50 लाख से एक करो़ड डालर तक की मदद का प्रस्ताव दिया है। सेन ने कहा कि वह सरकार से, निजी संगठनों से तथा धार्मिक संस्थानों से, हर किसी से आर्थिक सहयोग लेने को तैयार हैं। विश्वविद्यालय के निर्माण पर अनुमानित 1,005 करो़ड रूपये की लागत आएगी। नालंदा विश्वविद्यालय को बिहार में उसी जगह के नजदीक बनाने का प्रस्ताव है, जहां कभी यह प्राचीन विश्वविद्यालय हुआ करता था। यहां दर्शनशास्त्र, बौद्धधर्म, तुलनात्मक साहित्य, ऎतिहासिक अध्ययन और पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण की विशेष शिक्षा दी जाएगी। सेन ने कहा, "दुनिया के इतिहास में विश्वविद्यालय हमारी सबसे ब़डी बौद्धिक धरोहर थी।" नालंदा संरक्षक समूह का गठन वर्ष 2007 में किया गया था जिसके अध्यक्ष सेन को चुना गया था। सेन ने शैक्षणिक संस्थान निर्माण को लेकर एक ठोस संरचना तैयार की है। जिससे कि प्राचीन समय की तरह ही वैश्विक स्तर पर छात्र यहां अध्ययन के लिए आकर्षित हो सकें। संरक्षक समूह की यहां दो दिवसीय बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी हिस्सा लिया। संरक्षक समूह के सदस्य और सिंगापुर के विदेश मंत्री जार्ज यो ने कहा, ""हमें उम्मीद है कि पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान संबंधित विधेयक पारित हो जाएगा, जिससे निर्माण कार्य फिर से शुरू हो सकेगा।"" सेन ने इसके साथ ही लेडी श्रीराम कॉलेज में समाज शास्त्र के प्रोफेसर गोपा सबरवाल को विश्वविद्यालय के नए व पहले कुलपति के रूप में परिचय कराया।
बुधवार, 4 अगस्त 2010

नालंदा विश्वविद्यालय को पुनर्जीवित करने की योजना !!
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