
नरेंद्र मोदी की मुश्किलें बढ़ गई हैं। 2002 में हुए दंगों के दौरान गुजरात में तैनात एक आईपीएस अफसर ने आरोप लगाया है कि उस वक्त सीएम हाउस में हुई बैठक में मोदी ने दंगाइयों को और उत्पात मचाने के लिए छूट देने का फैसला किया था। गुजरात दंगों की जांच में जुटी एसआईटी की नीयत पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं। आरोप है कि एसआईटी ने खुफिया विभाग के अधिकारियों को सीएम द्वारा मीटिंग में दिए गए बयान को दर्ज नहीं करने के लिए अधिकारियों पर दबाव बनाया था।
आईबी में तैनात आईपीएस अफसर संजीव भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में 18 पन्ने का एक हलफनामा दायर किया है जिसमें उन्होंने मोदी और एसआईटी के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। भट्ट ने एसआईटी पर नरेंद्र मोदी को बचाने का आरोप लगाया है।भट्ट ने हलफनामे में कहा है, ‘27 फरवरी 2002 को सीएम हाउस मे बैठक में मोदी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि हिंदुओं की भावना भड़की है इसलिए उन्हें अपना गुस्सा निकालने दो।’
भट्ट का आरोप है कि एसआईटी के अधिकारियों ने खुफिया विभाग के अधिकारियों को हकीकत लिखने से मना करने के लिए दबाव डाला। आरोप है कि अधिकारियों का बयान दर्ज करते समय एसआईटी ने असिस्टेंट इंटेलिजेंस अफसर केडी पंत को धमकी कि वो मोदी के उस बयान को मत लिखवाएं, नहीं तो गिरफ्तार कर लिए जाएंगे।
भट्ट का बयान ऐसे समय आया है जब एसआईटी कुछ ही दिनों में सुप्रीम कोर्ट में अपनी जांच रिपोर्ट पेश करने वाली है। हालांकि एसआईटी का कहना है कि भट्ट के आरोप बेबुनियाद हैं। जांच एजेंसी के मुताबिक बयान दर्ज करने में कोई जोर जबरदस्ती नहीं की गई और वह मोदी को बचाने का प्रयास नहीं कर रही है।इस समय डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल के पद पर तैनात संजीव गत मार्च में एसआईटी के सामने दिए बयान में गुजरात दंगों के समय राज्य सरकार की भूमिका पर सवाल उठाए थे। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर एसआईटी ने भट्ट से चार दिन तक पूछताछ की थी।
4 टिप्पणियां:
हिन्दुस्तान अगर आज बाक़ी है तो ऐसे इंसाफ पसंद वीरों के दम से ही बाक़ी है .
ऐसे वीरों पर हज़ार अन्ना कुर्बान , जो अन्याय होते देख कर ठाकरे के खिलाफ बोले तक नहीं .
और संजीव भात उससे बड़े से डरे नहीं.
कांग्रेसी किस हद तक गिर गये है.वोट के पीछे.
अब लोगो को पैसा खिलाकर बयान दिलवा रहे है.
क्यो कि गुजरात मे भी चुनाव पास है.
लगे रहो कांग्रेसियो तुम्हारा अंत निकट है.
पाकिस्तान मे तो हिँदुओ ने किसी बोगी मे आग भी नही लगायी थी.
तब भी वहाँ 60 साल से हिँदुओ का ऐसा कत्लेआम और जबरन धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है कि अब वहाँ पर हिँदु का नामोनिशान नही है.
लगता है वहाँ कोई इंसाफ पसन्द वीर नही है.
ही ही
बढ़िया धर्म है इस्लाम
जिसमे इंसाफ पसन्द वीर ही पैदा नही होते है
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