
कश्मीर के बारामूला जिले में एक कश्मीरी महिला पंडित ने चुनाव जीता है। अपनी जीत को दशकों पहले घाटी से पलायन करने वाले परिवारों के लिए शुभ संकेत बताते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें अब लौट आना चाहिए।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी उनकी जीत को "घाटी तथा कश्मीरियत के लिए उम्मीद" की किरण बताया है। बारामूला जिले में वुसान कुंजर गांव की आशा ने शनिवार को हुए चुनाव में अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी सरवा बेगम को 11 मतों के अंतर से हराया। जीत के बाद आशा ने कहा, "मेरी जीत मेरे प़डोसी मुसलमानों के समर्थन से ही सम्भव हो सकी। मेरी जीत घाटी के प्रवासी पंडितों के लिए स्पष्ट संदेश है। उन्हें अपनी मातृभूमि लौट आना चाहिए।"
आशा की जीत पर मुख्यमंत्री अब्दुल्ला ने माइक्रोब्लॉगिंग वेबसाइट टि्वटर पर लिखा, "हमने नहीं देखा कि वह मुस्लिम है या गैर-मुस्लिम। वह एक भद्र महिला है। हमने उन्हें मुस्लिम उम्मीदवारों की तुलना में तरजीह दी।" मुख्यमंत्री ने लिखा, ""दोनों पक्षों के आतंकवादी दुनिया को जो यकीन दिलाना चाहते हैं, उसकी परवाह न करते हुए घाटी और कश्मीरियत के लिए अब भी कुछ आशा बची है।""
1 टिप्पणी:
यह एक ऐतिहासिक वाक़िया है. इससे लोग यह जान लेंगे कि घाटी में लोग काश्मिरी पंडितों से नफरत नहीं करते, जैसा कि साज़िशन प्रचारित किया जाता है.
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